Ishk,ईश्क़, कविता,quotes, अपरिचिता से परिचय।
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Ishk,ईश्क़, कविता,quotes, अपरिचिता से परिचय। |
सुनो न! ये तो कह दिया,
की अब हम तुम्हें पसन्द नही।
ये क्यूँ नही कह पाए?
था मुझे कभी तुमसे ईश्क़ नही।
सुनो न! काश तुम्हे पता होता,
ईश्क़ का जाना,
सिर्फ़ दो दिलो की दूरियाँ नही,
जान तो रहती है साहब,
पर कभी जिंदगी रह पाती नही।
Ishk,ईश्क़, कविता,quotes, अपरिचिता से परिचय। Suno n ! Ye to kh diya, Ki, ab hm tumhe pasand nhi. Ye kyun nhi kh paae ? Tha mujhe tumse kabhi ishk nhi. Suno n! Kaash tumhe pata hota, Ishk ka Jana, Sirf do dilo ki duriyan nhi, Jaan to rahti hai sahab, pr kabhi jindgi rh paati nhi. अपरिचिता से परिचित की सफर में मैंने कोशिश की है, कि जिंदगी के हर पहलू को, चाहे प्यार, उदासी को मैं अपने कविता या शायरी में डालने की कोशिश की है।उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।आपके सुझाव के इनतजार में - ✍️Shikha Bhardwaj❣️ |