"ॐ" और उसके चमत्कारिक प्रभाव।

"ॐ" और उसके चमत्कारिक प्रभाव।

"om" aur uske chamatkaarik prabhav.


"ॐ" छोटा शब्द, चमत्कार अनंत, जाने कितने समय तक, कितना करना, इसके अनंत लाभ।


"ॐ"

"ॐ" सनातन संस्कृति, अनंत, असीम और अद्भुत इसकी खोज।

"ॐ" शांति और ईश्वर के साथ जुड़ने का एक कड़ी तो है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि यह आपके फिजिकल और मेन्टल हेल्थ को भी पूरी तरह सुधरता है। 

 क्या आप जानते हैं ? ॐ एक छोटा सा शब्द..जो हमारे जीवन में कितना चमत्कृत है और इसे कितने समय तक और कितना करना चाहिए, तथा इसके लाभ क्या-क्या है?

हमारी संस्कृति सनातन संस्कृति है..और इसकी पूर्णतः शोध वैज्ञानिकों के लिए भी चुनौती का विषय है।

न जाने कितने गूढ़ रहष्य है जीवन के जिसे ढूंढने में विश्व के कितने वैज्ञानिक लगे हैं..और कब तक ढूंढेंगे.. यह भी पता नही है....।

चाहे वो कोई श्लोक , मात्रा या ध्वनी ही क्यों न हो ?

हर एक का अपना स्थान और महत्व है...जो सिर्फ़ बोलने और समझने में नही बल्कि आपके जिंदगी के सार को भी प्रतिफ़ल करता है।

उन्ही में से एक है "ॐ" का उच्चारण।

*ओ ऊ म ,,तीन शब्दों से मिलकर बना है ऊं

 जिसमें पूरा बृहमाण्ड समाया है

 चर, अचर, थल, नभ, जल, प्रकृति

 यदि  आज्ञाचक्र को जाग्रत कर ऊं शब्द का जप किया जाए तो बहुत लाभकारी परिणाम मिलना तय है।

जिसे नियमतः करने से , आपके जिंदगी के बहुत सारे प्रारूप को सिद्ध करता है।

हर रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठने का कोशिश करें और नित्यक्रिया से निबृत होकर एक शांत जगह पर आसन बिछाकर बैठ जाएं, सुखासन या किसी और आसान में जिसमे आप अपने आप को कम्फर्ट फील करते हो...बैठकर ॐ का 6 मिनट तक उच्चारण करें।सुरु-सुरु में आप घड़ी ज्यादा देखेंगे...लेक़िन फिर आपको आदत लग जाएगी। ॐ का जाप तब तक जारी रखें जब तक आपकी सांस न चढ़ने लगे। सांस चढने लगे तो धीरे-धीरे सांस छोड़ें और सामान्य स्थिति में आ जाएं। ये प्रक्रिया कई बार दोहराएं। कोशिश करें कि इस दौरान पूरे शरीर में वाइब्रेशन महसूस हो।

कितने फायदेमंद है,"ॐ"का उच्चारण हमारे जीवन मे आइए जानते है:-

             "ॐ" आपके जीवन मे कितना और किस तरह महत्व रखता है। जिसकी सत्यता वैज्ञानिक तरीको से भी की गई है।


"ऊँ" की ध्वनि का हमारे जीवन मे वैज्ञानिक महत्ता किस प्रकार है...सबसे पहले उसे जानने की कोशिश करते हैं।


वैज्ञानिको के काफ़ी शोध करने के बाद पता चला है कि.....

     सिर्फ 6 मिनट यदि ॐ का उच्चारण मात्र करते हैं तो सैकड़ो रोग ठीक हो सकते हैं जिसको ठीक करने में कभी - कभी दवा भी विफल हो जाते हैं और "ॐ" का उच्चारण चमत्कार की तरह अपना काम कर जाते हैं।🙏

 आप ध्यान देंगे कि अगर 6 मिनट "ॐ" का उच्चारण, एकाग्रता से करते हैं...तो मस्तिष्क में विशेष वाइब्रेशन (कम्पन) होता है.... और औक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है, और ऑक्सीजन का प्रवाह कितना जरूरी है.. यह बताने की शायद किसी को भी जरूरत नही।


    कई तरह के मस्तिष्क रोग दूर होते हैं.. साथ मे स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है, मैमोरी पावर बढती है..! बुरे विचारों से भी काफी हद तक निजात पा लिया जाता है, अगर इंसान ठान ले तो "ॐ" बहुत ही कारगर उपाय है।

       लगातार सुबह - शाम 6 मिनट ॐ के तीन माह तक उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में औक्सीजन लेबल बढता है।

      रक्त चाप, हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं..!

      विशेष ऊर्जा का संचार होता है..!

मात्र 2 सप्ताह दोनों समय ॐ के उच्चारण से

       घबराहट, बेचैनी, भय, एंजाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।

      कंठ में भी विशेष तरह से कंपन होता है और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है..!

     थाइरॉयड, गले की सूजन,स्वर दोष जैसे अनेक बीमारियों को भी "ॐ" के नियमतः उच्चारण से दूर किया जा सकता है।

     इतना ही नही "ॐ" का उच्चारण, पेट के लिए  भी उतना ही कारगर है। यहां भी विशेष वाइब्रेशन और दबाव होता है..!

एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से...

      पाचन तन्त्र, लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है, और डाइजेशन सही तरीके से और निश्चित समय से होता है, सैकड़ों उदर रोग दूर होते हैं..!

      "ॐ" उच्च स्तर के प्राणायाम का कार्य करता है और फेफड़ों में भी विशेष कंपन करता है।

      जिससे फेफड़े मजबूत होते हैं, स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है, 6 माह में  अस्थमा, राज्यक्ष्मा (T.B.) जैसे रोगों में काफ़ी लाभदायक होता है।

  "ॐ" का उच्चारण आयु बढ़ाने में भी उतना ही कारगर है।

"ॐ"



ॐ ही सृष्टि का संचार और आधार है।

ॐ ही  जीवन का उपसर्ग और प्रत्यय है।

सनातनों का व्यवहार और संस्कार ॐ है।

सुखों की प्राप्ति ॐ...

तो दुखों का संघारक भी ॐ है।

करो नित्य जाप ॐ का...

हो नष्टप्राय सब विकार इसी से।

ब्रम्हांड में हो गुंजायमान ॐ,

ऊँ का ओमकार हो।

ऊँ से ही रफ्तार और 

ऊँ से ही विस्तार का साधन।

सारे जीव-जगत का

ऊँ से ही तो सार है

पंच-तत्व ज्ञान-विज्ञान

ऊँ से ही तो साकार है।

हम सभी को जानकर गर्वान्वित होना चाहिए कि ये हमारी ही संस्कृति है जिसपर विश्व के सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिकों द्वारा स्विकृत हैं।

   क्यूँ न यदि हमें.. डॉक्टर की उँची फीस और रोज के उनके क्लिनिक के चक्कर से बचना है..तो रोज का मात्र 6 मिनट खुद को "ॐ" के उच्चारण में समर्पित किया जाय।

उम्मीद है हमारे संस्कृति से जुड़ी ये महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए उपयोगी और आश्चर्यचकित करने वाली होगी।


  नोट:- ॐ का उच्चारण हमेसा लम्बे स्वर में ही और पूरेएकाग्रता से ही करें ।


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✍️Aparichita_अपरिचिता ❣️

2 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. Very good article mam👌🙏 ॐ ॐ ॐ

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  2. बहुत सुंदर जानकारी दी आपने शुक्रिया जी
    शुभ प्रभात।।बहन जी

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