शरीर पर चिता भष्म, भभूत और विचित्र वेश धरने वाले "शिव जी" के सौंदर्य का शुक्ष्म परिचय।

 शरीर पर चिता भष्म, भभूत और विचित्र वेश धरने वाले "शिव जी" के सौंदर्य का शुक्ष्म परिचय। 

sharir par chita bhasm, bhabhut aur vichitra-vesh dharne wale shiv ji ke saundary ka shukshm parichay. 


क्या आप जानते हैं? शिव जी जो हमेसा अपने शरीर पर, चिता भष्म और भभूत लगाकर रहते हैं... उनका रूप सभी देवों में सबसे प्रिय और अभूतपूर्व सौंदर्य का मालिक है !

 

क्या आप जानते हैं? शिव जी जो हमेसा अपने शरीर पर, चिता भष्म और भभूत लगाकर रहते हैं... उनका रूप सभी देवों में सबसे प्रिय और अभूतपूर्व सौंदर्य का मालिक है !


हमारी सनातन संस्कृति कोटि-कोटि पौराणिक कथाओं से भरी हुई है। अब जहाँ 80 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख है...वहाँ.... कथाएँ भी तो उसी प्रकार होंगी। उन्हीं में से एक कथा है गणेश जी के बाल रूप और शिव के दिव्य सौंदर्य का।

पौराणिक कथाओं में इसका विश्लेषण बृहत रूप में है.….मैं आपको थोड़ी संछिप्त में सुनाने का प्रयास करती हूँ।


मुझे उम्मीद है कि इसे पढ़ते हुए आप सभी का हृदय प्रफुल्लित हो जाएगा।

तो आइए सुरु करते हैं कि:

कैसे गणेश जी ने शिव जी को अपने असली रूप में आने के लिए मनाया था।


तो हुआ यूं कि गणेश जी को उनकी माता ब्रह्मांड में सबसे सुन्दर प्रतित होती थी लेक़िन जब वो अपने पिता शिव के तरफ़ देखते थे तो उन्हें वही बिखड़ी जटा, शरीर भष्मयुक्त, गले मे नाग...बस एक ब्याघ्र छाल पहने..कोई आभूषण नही.., overall कहे तो गणेश जी को शिव जी उनकी माता के सामने बहुत ही साधारण प्रतित होते थे। 


फिर क्या था! एकबार जब गणेश और महादेव संग बैठे थे कि तभी गणेश जी के मन मे ये ख़याल आया और वे भगवान शिव जी से कहने लगे कि

पिता जी ! आप यह चिता भस्म लगा कर,

मुण्डमाला धारण कर और बाघम्बर पहन क्यूँ रहते है?

शिव जी थोड़ा मुस्कुराएं, वो अपने पुत्र गणेश के मन की दुविधा समझ रहे थे कि गणेश को उनका ये रूप पसंद नही है । लेक़िन खुल के कह नही पा रहा है।

गणेश जी अपने पिता शिव जी से कहते हैं....मेरी माता गौरी अपूर्व सुन्दरी है, उनके जितना सुंदर तो इस ब्रह्मांड में कोई नही है। और 

आप उनके साथ इस भयङ्कर रूप में…..हिचकिचाते हुए थोड़ा रुके, फिर कहा

पिता जी ! आप एक बार कृपा कर के 

अपने असली रूप में माता के सम्मुख आयें,

जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें !


भगवान शिव जी मुस्कुराये, गणेश के बालपन मन को समझा औऱ थोड़ी सी मनोहर तर्क के बाद 

गणेश की बात मान ली।


कुछ समय पश्चात शिव जी स्नान कर के लौटे । अब उनके शरीर पर भस्म नहीं थी, उनका रंग कपूर की भाँति, चमकता हुआ...,बिखरी जटाएँ अब सँवरी हुईं एवं खूबसूरती से लहरा रही थी।

 गले मे मुंडमाला नही थे। उनकी खूबसूरती का वर्णन असंभव था।


सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, शिवगण, ऋषि मुनि, रति और काम देव, पूरा ब्रह्मांड उनके सामने फीका लग रहा था। जितनी उनके सौंदर्य की चर्चा हो....उतना ही कम है।

सभी उन्हें बस अपलक देखते रह गये,वो ऐसा रूप था कि आँखों मे न समाएं और पलक भी न झपके।

मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाए !


भगवान शिव ने अपना यह रूप गणेश जी के सामने कभी प्रकट नही किया था।

शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप कि 

करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था, सभी निःशब्द बस देखे जा रहे थे।


गणेश भी अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देख कर स्तब्ध रह गये। गहरी सोच के बाद ....मस्तक झुका कर शिव जी से बोले, मुझे क्षमा करें पिता जी !

क्या आप जानते हैं? शिव जी जो हमेसा अपने शरीर पर, चिता भष्म और भभूत लगाकर रहते हैं... उनका रूप सभी देवों में सबसे प्रिय और अभूतपूर्व सौंदर्य का मालिक है !

परन्तु अब आप अपने पूर्व रूप को धारण कर लीजिए !


भगवान शिव फिर मुस्कुराये वो अपने पुत्र गणेश की दुविधा को समझ रहे थे, फिर भी कुछ अंजानेपन के भाव मे पूछा, क्यों पुत्र? अभी तो तुमने ही मुझे इस रूप में देखने की इच्छा प्रकट की थी, अब पुनः पूर्व स्वरूप में आने की बात क्यों कह रहे हो ?


गणेश जी मस्तक झुकाये हुए ही कहा, क्षमा करें पिता श्री !

मेरी माता से सुन्दर क़ोई औऱ दिखे मैं ऐसा कदापि नहीं चाहता !

फ़िर शिव जी हंसने लगे औऱ अपने पुत्र गणेश की बात मान, अपने पुराने स्वरूप में लौट आये !


पौराणिक ऋषि इस प्रसङ्ग का सार स्पष्ट करते हुए कहते हैं :


आज भी ऐसा ही होता है:

पिता रुद्र रूप में रहता है क्योंकि

उसके ऊपर परिवार की ज़िम्मेदारियाँ, उनका भरण-पोषण, अपने परिवार का रक्षण, समाज के प्रति जिम्मेदारी, परिवार और उनके मान सम्मान का ख्याल रखना होता है। और इन सब जिम्मेदारियों के बीच तो थोड़ा कठोर होना स्वाभाविक है...


औऱ माँ का सौम्य रूप, प्यार, लाड़, स्नेह, सब एक संतुलन का काम करता है। परिवार में सख्त और कठोर के बीच सामंजस्य , प्यार दे कर उस कठोरता का सन्तुलन बनाती हैं।

माँ सौम्य रूप लेकर सुन्दर होती है

पिता के ऊपर से भी 

ज़िम्मेदारियों का बोझ हट जाए तो

वो भी बहुत सुन्दर दिखता है ।


ये था गणेश के बालपन मन का छोटा सा परिदृश्य।उम्मीद है.…आप सबको पसंद आएगी।



✍️Aparichita_अपरिचिता❣️

 



2 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. बहुत सुंदर मार्मिक चित्रण आपने हमको सुनाया,, शिवजी गणेश जी संवाद बड़ा अच्छा लगा।। धन्यवाद जी बहन जी नमस्कार

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  2. आपको अच्छा लगा, आपका आभार🙏🙏

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