हाँ मै गलत हूँ।

हाँ मै गलत हूँ। 
Haa-mai-galat-hoon!


हाँ मै गलत हूँ। 
Haa-mai-galat-hoon!

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क्या गलत है, कि पूरे हक की गुजारिश रखती हूं मैं

टुकड़े में नही.....

एक आसमां की ख़्वाहिश रखती हूं मैं।

गलत है ? गर, बंदिशें नही,

कुछ आज़ाद ख़यालो की ख़्वाहिश रखती हूं मैं।

क्या गलत है गर,दिखावें नही

शुद्ध सौहार्द की ख्वाहिश है मुझे।

क्यूँ सारे रिश्ते कांच जैसे मिलते हैं

चेहरे तो दिखाते हैं,

पर वो रूह नही जिसमें सिमट सकुं मैं। 

क्या गलत है गर, रिवायतें नहीं 

सच्चे दिल की तमन्ना रखती हूं मैं।

बिखरी हुई हूँ ,तो क्या गलत है गर ,

सलाह नहीं सहारे की जरुरत है मुझे। 

या फिर सब गलत है कि ,

यहाँ मुर्दो के बाजार में 

धड़कते दिल को ढूँढना, 

ढूँढना उस एहसास को जो ,

तंगदिल में  संभव नहीं। 

गलत तो  है , कि जानती हूँ

उस सख़्श को जो खुदगर्ज़ हैं। 

पर लगता है कि फिक्र उसी की...

बस फ़र्ज़ है मेरा।

तो गलत है न!

नही निकाल पा रही रगों से,

तो गलत हूँ न ?

तो हाँ मै गलत हूँ। 

Haan-mai-galat-hoon!

#Haan#galat#ग़लत_hoon_mai_galat_hoon!

#Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। #Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। #aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। #aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएग

Shikha Bhardwaj


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