द्वादस की चाँद ।

नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की 
विकीर्ण आभा लहराई है।


नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की विकीर्ण आभा लहराई है।


नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की विकीर्ण आभा लहराई है।


नील चीर पर मुक्त सितार,

 कुसुम विभा सी छाई है।

जिसे देख धरा भी,

 सुरभित कुसुम - कुंज बन आई है।

पपीहे ने भी मधुर राग गा,

 अनुराग सुधा बरसाई है।

द्वादस चाँद, नीला अम्बर और कुसुम सुरभित धरा,

मंत्र -मुग्ध रजनी पुलकित सुमन समा।


नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की 
विकीर्ण आभा लहराई है।

नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की विकीर्ण आभा लहराई है।




उतशृंखल झींगुर छेरती निज तान।

मल्हराती, इठलाती,सरसराती पवन,

करती गुहार।

आ झूम ले उपवन कर ले फूलो का श्रृंगार,

कि रति और काम देव भी,

देख यह पारिजात का पूर्ण श्रृंगार, 

और उसपर रात की रानी का शौरभ,

हैं विचलित दर्प हृदय से,

 हो नही रहा सम्हार।

कि नील गगन ने आज फिर,

 किया सितारों से श्रृंगार।


नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की 

विकीर्ण आभा लहराई है।


नील गगन में आज फिर द्वादस चाँद की 
विकीर्ण आभा लहराई है।

Ise bhi dekhe:-


https://youtu.be/VMaARiv-1X0

#Neel_gagan#dwadas_chand#vikirn_aabha_lahraai_hai

Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएग

💐🍁💐🍁💐



Post a Comment

If you have any doubt, please let me know.

Previous Post Next Post