जिंदगी-jindagi

करीब से देखो ज़िन्दगी को...
जिंदगी हर कदम....

करीब से देखो ज़िन्दगी को...
जिंदगी हर कदम....




करीब से देखो ज़िन्दगी को...
जिंदगी हर कदम....
नए सफर, नई सीख,
नई उमंगों का सवेरा है।
तो कभी ज़िन्दगी....
मरुस्थल का डेरा है।
रात सर्द..... 
और दिन तप्त राह बसेरा है।


करीब से देखो ज़िन्दगी को...
कभी ठनी वक्त से अगर....
जहाँ देखो वहीं गमों सा अंधेरा है।
मिलेंगे कहीं छाँव भी लेकिन 
अगले कदम कठिनाइयों का बेड़ा है।


करीब से देखो ज़िन्दगी को...
राह तेरी ताक रही ज़िन्दगी
 गर हमने इसे कर्मों से सेरा है।
कटेगी फसल ख़ुशी की भी,
बस मन धैर्य का डेरा है।


करीब से देखो ज़िन्दगी को...
हर कदम एक सवाल और
हर मोड़ पर एक हिसाब राह,
ताक रही...
यही ज़िन्दगी, यही मौज किनारा है।


करीब से देखो ज़िन्दगी को...


जिंदगी-Jindagi


जिंदगी-Jindagi


 

जिंदगी-Jindagi


"ज़िन्दगी" धूप-छांव का मेला है,
कभी वसंत, तो कभी पतझड़ अलबेला है।
आसान नहीं है राह इसके,
और चलना भी अकेला है।

ठोकड़े होंगी,गिरोगे भी, लेक़िन जब उठोगे,
ज़िन्दगी नया सबक सिखा देगी।
कि बातों, और संवेदनाओं की तो बारातें होंगी,
पर सफ़र तय ज़िन्दगी का अकेला होगा।

सुझावों की होंगी फेहरिस्त लम्बी,
पर करना सब अकेला होगा।
ज़िन्दगी मैं अगर कुछ कर गुजरना..
तो होगा हमें रखना, दृढ़ संकल्प अपना।

मंजिल मिलेगी पास ही कहीं,
रखना नज़र चौकन्ना होगा।
कामयाबी कदम जरूर चूमेगी,
सबर रखना तुम्हे होगा।

नए कल की नए किरणों संग,
सुबह ज़िन्दगी का तेरा होगा।
हर शाम के बाद सवेरा,
सबक ज़िन्दगी का यही अपनाना होगा।

जो बीत गई सो बात गई,
अब बस नया सवेरा होगा।
कर संकल्प नए जीवन में,
नया कुछ करने का, आगे बढ़ना होगा।

तूफानों को आनी है, आकर चले जाना है।
क्योंकि यही जिन्दगी है।
कि "ज़िन्दगी" धूप-छांव का मेला है,
कभी वसंत, तो कभी पतझड़ अलबेला है।

"ज़िन्दगी" धूप-छांव का मेला है,
कभी वसंत, तो कभी पतझड़ अलबेला है।


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1 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. बहुत खूब...

    सही कहा जिंदगी धूप छांव का मेला ही तो है।

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