- "नवरात्रि 2022" के नौवें दिन माँ दुर्गा की नौंवी शक्ति "सिद्धिदात्री" की पूजा, मंत्र।
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"नवरात्रि 2022" के नौवें दिन माँ दुर्गा की नौंवी शक्ति "सिद्धिदात्री" की पूजा, मंत्र। |
आज नवरात्रि का नौंवा दिन, आज माँ दुर्गा के नौबे स्वरुप सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है, और आज अंतिम दिन भी है।
आइए जानते हैं माँ सिद्धिदात्री की पूजा, और कथा के बारे में:
मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ:
हे माँ आप सिद्धिदात्री के रूप में सर्वत्र विराजमान हैं, और इस रूप में मेरा आपको बारम्बार प्रणाम है। है माँ आप अपनी कृपा का पात्र मुझे बनाइए।
माँ सिद्धिदात्री, मा दुर्गा का ही नौंवा रूप है, ये सभी प्रकार की सिद्धियों को, प्रदान करने वाली माता है।
सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना नवरात्रि के नौवें दिन की जाती हैं। शास्त्रीय विधि -विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ पूजा करने वाले साधको पर माता प्रसन्न होती है, उन्हें माता सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करती है। संसार में कुछ भी नही होता जो उस साधक के लिए अगम्य हो। ब्रह्माण्ड तक पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सिद्धी वह पा लेता है।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार- अणिमा, गरिमा,महिमा,लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- आठ सिद्धियां होती है और ब्रह्मवैवर्त पुराण के कृष्ण जन्म खंड में इनकी संख्या 18 बताई गई है।
जिनके नाम इस प्रकार है:-
1* अणिमा
2* लघिमा
3* प्राप्ति
4* प्रकाम्य
5* महिमा
6* ईशित्व और वशित्व
7* सर्वकामावसायिता
8* सर्वज्ञत्व
9* दूरश्रवण
10* प्रकायप्रवेशन
11* वाक्कसिद्धि
12* क्लोवृक्षत्व
13* सृस्टि
14* सहारकरनसामर्थ्य
15* अमरत्व
16* सर्वन्यायकत्व
17* भावना
18* सिद्धि।
माँ दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री को अपने भक्तों और उपासको को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने का सामर्थ्य है।
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने माता की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। माता की अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर माता पार्वती का हो गया था और भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड में अर्धनारीश्वर के रूप में जाने जाने लगे।
सिद्धिदात्री का स्वरूप:
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली है जिनके दाहिने तरफ के नीचे वाले एक हाथ मे कमल पुष्प है, माता का वाहन सिंह है, और माता कमल पर आसीन हैं।
हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सभी माता की कृपा पाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। इनके आराधना और भक्तिभाव में लगे रहे। इनकी कृपा से ही अनंत दुख रूपी जीवन सगार से पार हो सकते हैं, और सुखों का भोग कर मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।
माँ दुर्गा के अंतिम रूप में माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप है। इससे पहले माता के आठ रूपों की विधि-विधान के अनुसार पूजा-उपासना करते हुए, नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा- उपासना में प्रवर्त होते हैं।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा पूर्ण करने के पश्चात, भक्तो को लौकिक-परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पुर्ति हो जाती है।
इनकी कृपा से भक्तों के अंदर ऐसी कोई कामना नही बचती, जिसे वह पूर्ण करना चाहे।
भक्त सारी सांसारिक इक्षाओं, आवश्यकताओं, और स्पृहाओं से ऊपर उठकर, मा भगवती के दिव्य लोको में विचरण करता हुआ, उनकी कृपा से रस पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय भोग की ईक्षा शून्य हो जाती है। माता का सानिंध्य ही मनुष्य का सर्वस्व ध्येय हो जाता है। इस परमपद को पाकर उसे और किसी चीज़ की आवश्यकता नही रहती।
माँ के चरणों से बढ़कर कुछ भी नही, उनका सानिंध्य प्राप्त करने के लिए हमे निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। नियम निष्ठा के साथ उनकी उपासना करते रहना चाहिए।
माँ सिद्धिदात्री का स्मरण, ध्यान, पूजा करते हुए, हमे इस संसार से शांतिपूर्ण विदा लेते हुए परमपद की प्राप्ति की ओर अग्रसर होने का पथ प्रशस्त करना चाहिए।
माता की आराधना से जातक को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, परकामा प्रवेश, दूर श्रवण, वाक सिद्ध, अमरत्व भावना, सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों, नव निधियों को प्राप्त कर लेता है।
आज की व्यस्त भरी ज़िन्दगी में, सम्भव है कि इतना सब कर पाना आसान नहीं है लेकिन अपनी शक्ति अनुसार जप-तप, पूजा अर्चना तो कर ही सकता है।
माँ भक्तों के मनोभाव से भी प्रसन्न हो जाती है। ऊपर में दिए गए श्लोक के जाप से से भी माँ भक्तो को सिद्धि प्रदान करती है।
माँ जगदम्बा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस श्लोक को कंठस्थ कर नवरात्रि में या अन्य दिनों में भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
"Navratri-2022"-ke-nauve-din-Maa-Durga-ki-nauvi-shakti-Siddhidatri-ki-puja-mantra
सिद्धिदात्री मां के चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏
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