नियति-Niyati
अवध महारानी....
मिथिला की राजदुलारी
अवध महारानी,
मिथिला की राजदुलारी
माँ सीता भी थी...
निष्ठुर नियति के खेल की मारी।
बनना था, महारानी....
बन बैठी वन विहारी।
उसपर रावण के कहर की भी थी मारी।
अवध महारानी....
मिथिला की राजदुलारी
माँ सीता भी थी...
निष्ठुर नियति के खेल की मारी।
पुष्प वाटिका में बैठी...
याद करे अवध विहारी।
यहाँ न कोई सगा.....
न सज्जन पुरुष या नारी।
कैसे कटेगी.....
राम से विरह की रात घनेरी।
अवध महारानी,
मिथिला की राजदुलारी
माँ सीता भी थी...
निष्ठुर नियति के खेल की मारी।
विश्वास की थी शक्ति,
जो संग थी सबाली,
कि आऐंगे अवश्य लेने अवध विहारी।
यही विश्वास माँ सीता की,
पुष्पवाटिका की रात गुजारी।
अवध महारानी....
मिथिला की राजदुलारी
माँ सीता भी थी...
निष्ठुर नियति के खेल की मारी।
पग पग आन पड़ी थी,
अग्निपरीक्षा की बारी।
माँ सीता भी थी,
निष्ठुर नियति के खेल की मारी।
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