ये छोटी-सी जिंदगी कितनी गहरी है?

 ये छोटी-सी जिंदगी कितनी गहरी है?

Ye choti-si zindagi kitni gahri hai?


ये छोटी-सी जिंदगी कितनी गहरी है?



परिचय:

मेरी ये कविता बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक रूप से गहरी है। यह जीवन की क्षणभंगुरता, ख्वाहिशों, यादों और उम्मीदों को बहुत सहज और सरल शब्दों में व्यक्त करती है। उम्मीद है मेरे पाठक को ये जरूर पसंद आएगी।

ये जो जिंदगी है, बड़ी छोटी है।
छोटी सी जिंदगी में, 
छोटे-छोटे ख्वाहिशें हैं।
हर ख़्वाहिश जिंदगी की लम्हात है।
हर लम्हात वक़्त के कूँचे संग,
लिखती एक कहानी है।

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Nishabd || निशब्द

ये छोटी-सी जिंदगी कितनी गहरी है?
छोटी - छोटी यादों संग,
उन वक्त से लम्हें उधार कर, 
रिस्ते नए बुन लेते हैं...
तन्हाई की सिहरन में फिर.....
उन्ही यादों को ओढ़ लेते हैं।


छोटी-सी जिंदगी की कितनी बड़ी बातें हैं?
छोटी होकर भी, 
उम्र के हर नए पराव पर
जिंदगी को नायाब बनाते है।
जो फिसल गया, वो कल था।
जो आज है, यही हमारा है।


छोटी ही तो जिंदगी है!
कब तक यूँ बिखरी उम्मीदें, 
टूटे ख्वाबों का रोना रोए हम।
क्यूँ न जो संग है, उसे सजाए हम।
ये जो जिंदगी है, बड़ी छोटी है।

ये जो छोटी ज़िंदगी है.....



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