दिनकर था वो अपने दिवस का-रामधारी सिंह दिनकर
Dinkar-tha-vo-apne-divas-ka-Ramdhari-singh-Dinkarहमारे प्रेरणास्रोत- रामधारी सिंह दिनकर-Ramdhari Singh Dinkar
दिनकर था वो अपने दिवस का-रामधारी सिंह दिनकर
एक सूर्य गगन का का दुलारा, दूसरा धरती माँ का प्यारा,
बातों की तो कोई तोड़ न उसकी,
काम भी था, निडर, निर्भीक निराला।
कलम के धार भी थी तेज ऐसी, नेहरू को भी विवस में डाला।
बातों की तो कोई तोड़ न उसकी,
काम भी था, निडर, निर्भीक निराला।
कलम के धार भी थी तेज ऐसी, नेहरू को भी विवस में डाला।
चलो हम भी सूरज से धूप का एक टुकड़ा मांग लेते हैं।
फिर आँचल में भर, खुशियों से मिलाते हैं।
कुछ लम्हात, बचपन की गलियों के,
कुछ बेसबरियाँ जवानी की मिला दो।
कुछ गुफ़्तगू तारो से भी कर लेते हैं।
चाँदनी की छटा में बुन उनको,
प्यार का एक सामियाना बना लेते हैं।
चलो हम भी सूरज से धूप का एक टुकड़ा मांग लेते हैं।
फूलों से ख़ुशबू और तितलियों से रंग मांग, लेते हैं।
भौंरो की छटपटाहट, और बिजली की चमक मांग लेते हैं।
अप्सरा की मुस्कुराहट, और रति से खूबसूरती मांग लेते है।
कामदेव की कामना , और पुरुरवा से प्रेम मांग लेते हैं।
फिर महि सा एक जहाँ बना लेते हैं।
चलो हम भी सूरज से धुप का एक टुकड़ा मांग लेते हैं।
दिनकर सा कवि की कामना कर लेते हैं,
और फिर उर्वशी सा कोई नया उपन्यास लिख डालते हैं।
निशा न हो, हमारी न सही,
कोड़े कागज पे अपना स्याह नाम छोड़ जाते हैं।
चलो हम भी सूरज से धूप का एक टुकड़ा मांग लेते हैं।
और फिर उर्वशी सा कोई नया उपन्यास लिख डालते हैं।
निशा न हो, हमारी न सही,
कोड़े कागज पे अपना स्याह नाम छोड़ जाते हैं।
चलो हम भी सूरज से धूप का एक टुकड़ा मांग लेते हैं।
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बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteरामधारी सिंह दिनकर जी हिंदी साहित्य के आधार स्तंभ में से एक हैं, जिनकी कृतियां अविस्मरणीय हैं!!