कुछ रूठी-रूठी सी कहानी हमारी।

कुछ रूठी-रूठी सी कहानी हमारी,

कुछ रूठी-रूठी सी कहानी हमारी,



कुछ रूठी-रूठी सी कहानी हमारी,
कुछ रूठे अल्फ़ाज़ हमारे।
कुछ रूठा उम्मीदों का वो तारा,
जो पड़ा सिरहाने मेरे।


कल ही आकाश से गिरा था,
और वो पास मेरे खरा था।
क्योंकि उसे भी पता था,
कुछ रूठा सा खोया मैने भी बड़ा था।


कहानी हमारी एक सी थी,
वो टूटा-रूठा नीचे पड़ा था,
और मेरा सब आकाश में जा मिला था।


दोनों रूठे, दोनों आधे - अधूरे,
 पर कहानी रूठी एक सी थी।
वो कुछ अपनी सुना रहा था,
और कुछ मेरी सुन रहा था।


आकाश से टूट तारा, सिरहाने मेरे पड़ा था।
क्योंकि टिमटिमाहट उसकी अब भी बनी थी,
और जीने की चाह भी थमी नही थी।

वो टूटा था, पर उम्मीदों का सहारा था।

उसकी चाहत, मेरी आकांक्षा का डोर बना था।
दोनों ही रूठे, एक जैसे,
कहानी दोनों की ही अधूरी एक जैसी।

पर उम्मीदों और आकांक्षाओं का फ़लसफ़ा,
मिलकर करेगा दोनों को पूरा।

कुछ रूठी-रूठी सी कहानी हमारी,
 मिलकर करेगी, दोनों को पूरी।


Shikha Bhardwaj

    🌞🌾🌞🌾🌞

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