क्या हो अगर... इन्ही ख़ाक में एक उम्मीद का पौधा लगाया जाए... दूसरे से नही... ख़ुद पर यक़ीन दिलाया जाए।

 क्या हो अगर...
इन्ही ख़ाक में एक उम्मीद का पौधा लगाया जाए...


क्या हो अगर...
इन्ही ख़ाक में एक उम्मीद का पौधा लगाया जाए...



वक़्त के जर्द में लिपटे...
अपनी ज़िंदगी के हर पन्ने को...
ख़ाक बना डाला है।

देखो जड़ा...!
जब यह जीवित था ढ़ेर था...
पर अब ख़ाक बन कैसे सिकुड़ा पड़ा है।

ये तो हमी थे....
सड़े पन्ने को धूप दे रहे थे...
आज एक तिल्ली क्या लगाई...!
ख़ाक हो गई।

क्या हो अगर...
इन्ही ख़ाक में एक उम्मीद का पौधा लगाया जाए...
दूसरे से नही...
ख़ुद पर यक़ीन दिलाया जाए।

वक़्त के जर्द में लिपटे...
अपनी ज़िंदगी के हर पन्ने को...
ख़ाक बना डाला है।

Khaak,ख़ाक

                         
 

                                  ✍️Shikha Bhardwaj ❣️



2 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. देखो जरा
    माचिस की तीली
    यदि खाक में पौधे रोपित किए जाएं तो नहीं उगेंगे।।
    यदि उपजाऊ जमीन में रोपित किए जाएं तो पौधे पनपने लगेंगे।।

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    1. aapka naam nhi dikh raha hai, sabse pahle aapka aabhar ki aapne meri kavita ko padha aur sujhav bhi diya. Phoenix ek chidiya ka naam hai... jo apne aap ko raakh kar fir se ji uthti hai. kahne ka taatpary hai.. ki agar aapke hausle buland hain to kuch bhi sambhav hai.

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