नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।

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बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।_neela gagan,safed doodh si dhaki, barfili parvat,biten lamhon ke kuch kissen duhrati hai.

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।




इस वक़्त में कुछ लम्हे कैद कर लूँ,
बन्द मुट्ठी में उनको भर लूँ।
कोई आहट है.. बेहिसाब धड़कने बढ़ाती है।
हवाएँ जुल्फों संग सरगोशी करती है।


नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


धरा हरी चादर में लिपटी, सावन से अलंकृत होकर
मेरे पतझर मन के कोने में भी कहीं
वसंती रंगत सा कोई हलचल,
दबे पाँव दस्तक दिल के द्वारे देकर,
उन्ही बीते लम्हों की याद दिलाती है।


 नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


सोच कहती है, यही वो वक्त रहा होगा,
जब पुष्प वाटिका में...
प्रभु राम और सीता का अन्तर्मन मिला होगा।
कृष्ण और राधा ने भी वृंदावन में रास रचा,
प्रेम के संदेश से पृथ्वी को सराबोर किया होगा।


 

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


ओष की एक -एक बूंद ...मोतियों की रंगत ले 
हर फूल और पत्तियों का श्रृंगार  किया है।
तो कहीं बूंद-बूंद ईश्क़ का समंदर बन...
आशिकाना सा मंजर हुआ है।


नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


नील गगन के नीचे ये हरी धरा
हर किसी को हरे मन भँवर में डुबा
हरदम के लिए हरा कर देने को है आतुर।


 

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।


बड़ी बेहिसाब है ये ईश्क़ भी..…
जब लत लगेगी..…पूरा वज़ूद ही बदल डालेगी।
आईने में अक्स भी धोखा दे जाएगी।
तस्वीर आपकी नही, ईश्क़ की ही नज़र आएगी।


 

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।

मत बहक ऐ दिल ..…
ईश्क़ आसान नही...
किसी का एक पल खरीदने को....
जिंदगी पल-पल बेचनी पड़ेगी।
ये धरा है, हर मौसम श्रृंगार करेगी।
दिलों को धड़कने का मौके बार-बार देगी।


 

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।

 

नीला गगन, सफ़ेद दूध सी ढकी बर्फीली पर्वत
बीते लम्हों के कुछ किस्से दुहराती है।

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किसी पहाड़ी पर बैठे हो, चारो ओर मनोरम हरियाली, एक खूबसूरत सा एहसास, कुछ बीते लम्हों में कैद पल आपकी आँखों के सामने नाचने लगे तो क्या होता है? अनायास ही मन का कवि कागज़ो पर अल्फ़ाज़ बन बिखरने लगा है। उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी 🙏🙏

✍️Shikha Bhardwaj❣️






2 Comments

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  1. बहुत सुंदर रचना है आपकी प्रकृति से जुड़ी हुई मन भावाक जोड़ती है सबको।। धन्यवाद जी।। शुभ प्रभात

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  2. सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌👌

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