Chay par shayri-चाय पर शायरी
सुबह की चाय और तुम.....

सुबह की चाय और तुम.....
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सुबह की चाय और तुम.....
तुम्हारे कभी न खत्म होने वाले कहकहे।
पर......
कहो आज कुछ नया सा।
लेक़िन हाँ, दिल से...
दिमाग को कहीं,
आज थोड़ी पीछे छोड़ दो।
छोड़ दो, सारे किरदार,
जो हमारे बीच दरार है।
सुबह की चाय और तुम।
और माहौल हो,
कुछ बचपने सा,
कुछ शुरू हुई ईश्क के सुरूर सा।
कुछ इंतज़ार करते हर लम्हात सा।
सुबह की चाय और तुम।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
https://youtu.be/rvm4UEYKoWo
क्यूँ किसी का गम करे हम
क्यों न हर गम को बेदम करें हम।
ओढ़कर चेहरे पर मुस्कानों का लिवास
कुछ पल ही सही, करे खुशियों से मिलाप
खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
उलझनों के बाज़ार में .....
कुछ धागे साँसों के....
कुछ गाँठे वादों के, खुद के लिए,
खरीद लाते हैं।
खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
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खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
कुछ पुराने ख़्वाब है....
कुछ सीने में दफन जज़्बात हैं
उन्हें ख़ाक कर,
यादों की पिटारी में बंद कर,
जल प्रवाह करते हैं
खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
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खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
थोड़ी ही सही,
मैं भी तो कहीं बची होऊँगी खुद में
धड़कने जो है...बाक़ी है अभी
उसे रफ़्तार देते है, खुद को पाते हैं
खुद में ही खुद को ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
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खुद में ही खुद को ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
उम्मीदें खुद से, कुछ ख़्वाहिशें खुद से....
कुछ वादे, कुछ इरादे भी सिर्फ़ खुद के
कुछ पल ही सही, मिलूं तो खुद से
साँवली चाय संग
गुफ़्तगू कुछ हसीन करते हैं
खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
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खुद में ही खुदको ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
कहीं तो खोई सी है
जो थी भीनी सी मुस्कान लवो पे
मेरी ही तो है...
ग़मों से छीन लाते हैं...
खुशी का श्रृंगार करते हैं
खुद में ही खुद को ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
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खुद में ही खुद को ढूंढ़ते हैं।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं। |
#चाय_chay
क्यूँ किसी का गम करे हम
क्यों न हर गम को बेदम करें हम।
आ जिंदगी संग चाय पीते हैं।
#चाय_chay
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#Chay_चाय |
चाय के शौकीन हो,
तो उसकी उबाल
ज़िन्दगी में भी समझनी पड़ेगी।
ये जितना उबलेंगी,
ज़िन्दगी उतनी बेहतर बनेंगी।
Chay ke shaukin ho,
To uski ubaal,
jindgi me bhi samjhni padegi.
Ye jitna unke hi,
Jindgi utni behtar banegi
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Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएगी।
✍️Shikha Bhardwaj❣️