जो बीत गया बस पल था।, कविता

ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।


ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।



  ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।

अच्छा था, या सुनहरा था,
जो बीत गया बस पल था,
जो यादे बन संग चलेंगी।
कुछ सबक था, कुछ गुनगुना सा
एहसास था।
नई सुबह नई जिंदगी का
नया पथ नए मुक़ाम का।

ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।


"शाम" कभी खुशी का, कभी उम्मीदों का,
दुख का भी, तो परेशानियों का भी।
जैसे हर शाम के बाद नई सुबह है,
और नई सुबह लाती है, 
नई उम्मीदों का नया प्रकाश है।
तो समेट शाम के कुछ किरणों को
भविष्य के हाथ बढ़ाना है।
और नई उम्मीदों के नए घरौंदे बनाना है।

ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।

जो छूट गया, वो अपना था,
माना साहिल का किनारा था।
समेट कुछ पल, उसी किनारे से,
समय की मोती बनाना है,
गूँथ उसे यादो की धागों मे,
 जीवन का हार पहनना है।

ये शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।

कुछ दिन भर की यादे होंगी
कुछ नए घाव से नए सबक की बातें होंगी।
दोनों को ले संग,
अब बस करनी है मुस्किलो को दंग।
यही जिंदगी है।

किताबो के पन्ने
दुहराए जाते हैं,
वक्त कहाँ थमती, रुकती या पलटती है।
जो बीत गई, कहाँ वापस आती है?
अच्छा था या सुनहरा था,
जो बीत गया बस पल था।

ये#शाम फिर नई सुबह का नया आगाज़ है।
Ye#shaam-fir-nai-subh-ka-nya-aagaaz-hai

              

                            ✍️ Shikha Bhardwaj🥀❣️

जिंदगी के कुछ एहसास कुछ सबक है, जिसे आपसे बाँटने की कोशिश की है।वक्त कभी थमता नही, और यादे भी साथ रहती है। गुज़रे वक्त को तो वापस नही किया जा सकता , लेक़िन उन्ही यादो, उन्ही सीख के सहारे नया कल बन सकता है।जो कुछ भी अधूरा रह गया , उसे पूरा कर सकते हैं।
उम्मीद है आप सबको ये कविता पसंद आए। कृपया अपने सुझाव जरूर दे और कविता पसंद आए तो follow भी जरूर करे।
धन्यवाद🙏🏼🙏🏼

1 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. बहुत सुंदर है आपकी रचना धन्यवाद जी
    शुभ अपराह्न

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