यादों के पिटारे से.... आज फिर लौट आया मेरा बचपन

यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन 

यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन 




 यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन 
आज़ाद ख़्याल, आज़ाद तराने,
न कोई सोच न फ़िकर।
याद है मुझे, बाबा के कांधो पर बैठ,
वो लम्हे बादशाहियत के।
जैसे कल ही बीता हो मेरा बचपन।


यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन 


दोस्तों के झगड़े से बचकर,
अम्मा की आँचल में छुपकर
खूब लाड़-लड़ाए थे हमने
दादी मुझपर जान छीरकती थी
तो दादा जी के आँखों का मैं तारा था।
दादी ठूँस-ठूँस कर मुझे खिलाती,
दादा जी मुझको शैर कराते थे।


यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन ।


माँ मेरी खूब बलैयां लेती,
बाबा मुझको अपनी पगड़ी पहनाते।
उनका था एक सपना बड़ा,
खूब पढ़ेगा बेटा मेरा,
अफसर बन शान बढ़ाएगा।
अम्मा कहती, जुग-जग मेरा लाल जिएगा।


यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन ।


दादी की कहानी के तराने में दिखता
तीनों लोक सिमटकर, 
उनकी कुटिया में बसता।
जिसमे राजकुमार उनका पोता होता
तो अप्सराओं से भी सुन्दर उनकी बहुरानी होती।


यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन ।


काश कुछ पल ऐसा होता,
टाइम मशीन मेरें कब्ज़े में होता।
वक़्त को यूटर्न कर देता,
कूद बचपन मे घुल जाता।
दोस्तों, चौबारे, अम्मा की अठखेलियां,
सब कैद कर एक पिटारे में मैं,
कल को आज कर देता।


यादों के पिटारे से....
आज फिर लौट आया मेरा बचपन ।

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Shikha Bhardwaj____✍️

2 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. काश के वो बचपन फिर से लौट आए
    काश के हम दुबारा स्वच्छंद जी पाए
    खोल दिया आपने
    यादों का पिटारा
    चंद कागज की कस्ती और कुछ बारिश की बूंदे

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