ख़ामोशी जो कहती है, जुबा कहाँ बोल पाती है_khamoshi jo kahti hai, jubaan kahaan bol pati hai!

ख़ामोशी जो कहती है, जुबा कहाँ बोल पाती है_khamoshi jo kahti hai, jubaan kahaan bol pati hai!


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ख़ामोशी जो कहती है, जुबा कहाँ बोल पाती है।



कभी -कभी हमे कहना बहुत कुछ होता है, पर जुबा साथ नही देती और पढ़ने वाले आपकी ख़ामोशी बखूबी पढ़ लेते हैं।


ख़ामोशी जो कहती है, जुबा कहाँ बोल पाती है।


कभी सुनो धड़कनों की आहट,
ये भी खामोशी से तुम्हारी ही कहानी कहती है।


शब्दों में गर स्वर घोल दिया....
मुमकिन है कानों को आहट हो.....
सुनो मेरी खामोशी, कि तेरे दिल मे दस्तक हो।


भटककर महफ़िलो में आख़िर क्या पाना है
ख़ामोशी से मुझे तुम्हारे दिल के आशियाने सजाना है।


बड़ी खामोशी से हँसी में जो दर्द छुपा रक्खा है
वो दर्द, आँसू बहा देने में कहाँ है।

तुम तंगदिल से न करो अपना हाले दिल बयां,
तुम बस मुस्कुरा दो, 
फिर देखो उनकी बेचैनी का आलम क्या होती है।


 समंदर की खामोशी से सीखो स्थिरता का राज़,
दबा सके जो कोई राज, उनमे उतनी सहन कहाँ होती है।
किनारे की लहरें तो बस बेवज़ह शोर करती है।


खामोश... दबी, बुझी राख से पुछो....
अर्षो की ख्वाहिशों के तपिश का आलम
भला कोई चिंगारी क्या बताए, क्या जला, कितना जला?



नफरतों के शहर में घर लिया है अपना,
ख़ामोशी से सहते हैं.....
घूरते आँखों में बेपनाह नफरतों का शोर
भला किसी की नाफ़रमानी मेरा क्या बिगाड़ सकती है।


झेला है, अपनो के ही सवालों को,
दुनियां भला क्या उंगली दिखा सकती है।
अच्छा है कि आँखो को तमीज़ का चिलमन
और आँशु को खामोशी से तन्हाई भेट की जाए।



कभी कभी ख़ामोशी जो कह देती है,
ज़ुबानों के पास वो शब्द कहाँ होती है।


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                 ✍️Shikha Bhardwaj ❣️

अभिव्यक्ति:   इंसान हालातो से अगर घबरा जाए, फिर सभी प्राणियों में उच्च कोटि का दर्जा प्राप्त करने का अधिकार उसे खो देने चाहिए।या फिर अपने विवेक और सहिष्णुता से परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए, हालातों का सामना करना चाहिए।
उम्मीद है, आप सबको पसंद आए, तो please, comment और follow जरूर करे।






















 

1 Comments

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  1. कभी कभी चाहकर भी जुबां खामोश हो जाती है....
    कभी अपने लिए तो कभी अपनों के लिए..
    कुछ तो खामोशी को पढ़ लेते हैं..
    कुछ इस खामोशी को कमजोरी समझ लेते हैं...

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