Bhid_भीड़

 भीड़_Bhid


Bhid_भीड़

"भीड़"रिस्तों की, रवायतों की, 
अनदेखे फलसफों की।

"भीड़" दमघोटते एहसासों की, 
अपनेपन की।

"भीड़" में ही अक्सर हैं वो तन्हा,
जिसने उम्मीदों की भँवर बना ली।

लेकिन इस "भीड़ " को भी कहाँ पता ?
है वो नासमझी में।

क्योंकि कहाँ कायम रहता है जहाँ, 
सदा किसी का ?

इस "भीड़" ने भी बड़ी भरम है पाली,
 फेर बदल वाली।

है..ग़फ़लत में,उसे कहाँ पता,
कि इतिहास रचा वही, 
जिसने अलग पथ बना ली।

भीड़_Bhid

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