भीड़_Bhid
Bhid_भीड़
"भीड़"रिस्तों की, रवायतों की,
अनदेखे फलसफों की।
अनदेखे फलसफों की।
"भीड़" दमघोटते एहसासों की,
अपनेपन की।
अपनेपन की।
"भीड़" में ही अक्सर हैं वो तन्हा,
जिसने उम्मीदों की भँवर बना ली।
जिसने उम्मीदों की भँवर बना ली।
लेकिन इस "भीड़ " को भी कहाँ पता ?
है वो नासमझी में।
है वो नासमझी में।
क्योंकि कहाँ कायम रहता है जहाँ,
सदा किसी का ?
सदा किसी का ?
इस "भीड़" ने भी बड़ी भरम है पाली,
फेर बदल वाली।
फेर बदल वाली।
है..ग़फ़लत में,उसे कहाँ पता,
कि इतिहास रचा वही,
जिसने अलग पथ बना ली।
कि इतिहास रचा वही,
जिसने अलग पथ बना ली।
#अपरिचिता, #अभिव्यक्ति, #कविता#Video, #abhivaykti, #kavita, #quotes, #Aparichita