मैं ही मुझमे हूँ।
![]() |
मैं ही मुझमे हूँ। |
Ise bhi dekhe:--
मैं ही मुझमे हूँ।
मेरा कोई नही,
मैं किसी की नही।
कोई मेरी बात सुने..
कोई मुझे समझे
कोई नही।
कोई मुझमे नही,
मैं किसी की नही।
मेरे दर्द...
किसी के हृदय को छूता नही....
मेरे ये दो नयन बन्द हो जाए....
किसी को फ़िकर नही।
हवा हूँ....आई, और गई।
मेरा अस्तित्व बस इतना ही।
आखिर में...
बस मैं ही मुझमे हूँ,
मैं किसी की नही, कोई मेरा नही।
बस ओष के बून्द की तरह....
ढल जाऊंगी।
धूप की कुछ किरणों संग...
थोड़ी चमक खुद में भर लुंगी,
फिर वहीं...
कहानी खत्म कर लुंगी।
खुशी मुझसे दूर से गुजर जाती है,
और फिर मैं ही मुझमे....
शेष रह जाती हूँ।
अंततः मैं ही मुझमे रहूंगी।
#मैं_ही_मुझमे_हूँ।#शायरी,#Quotes,#kavita,#अभिव्यक्ति,#abhivyakti,#कविता,#Aparichita,#अपरिचिता,#Poetry,#video
Waah! बहुत खूब 👌👌
ReplyDelete