कमियां निकालते रहे अतीत की.. रात आँखो में कट गया।

 कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

Kamiyan nikalte rahe atit ki, rat aankhon me Kat gya.


कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।


भविष्य सोचते-सोचते,
वर्तमान....
रेत की तरह फिसलता गया।
कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

जो होशियार होते,
समेट लेते वक्त का हर लम्हा,
जो है, आज है, इसी पल है।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

क्यूँ जिसको माना नही,
कल क्या होगा जाना नही,
आज जो शाम बनकर आई है,
वही कल सवेरा होगा।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

समेट लो इस पल को, 
यही है, जो तेरा है।
आँख खुली..
कल का सारा मंज़र बदला होगा।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

दुःख मौसम है,
पतझड़ जैसी...
कल यही फिर वंसत होगा।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।

भविष्य सोचते-सोचते,
वर्तमान....
रेत की तरह फिसलता गया।

कमियां निकालते रहे अतीत की..
रात आँखो में कट गया।


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