Khamoshi_ख़ामोशी
Khamoshi_ख़ामोशी
Khamoshi_ख़ामोशी |
Khamoshi_ख़ामोशी
आंखों में हसरते दिदार की लिए,
पल ये गुजरता है कैसे...?
कैसे बताएं... तुम्हे अब ...
कि तुम बिन वक्त गुजरता है कैसे?
जुबा चुप है...
खामोशियां शोर करने लगी है।
तुम भी जो यूँ ख़ामोश हो...
क्या मेरी खामोशियां...
धड़कने तुम्हारी सुन नही पा रही..?
महफिलों में भी जो छाई तनहाइयाँ है...
इंतज़ार और आशरा बस तेरा है.....
आ... भी जाओ कि..
मेरी ख़ामोशी भी अब थकने लगी है।
जिंदगी न सही....
विदाई तेरी आगोश में हो।
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✍️Shikha Bhardwaj ❣️