ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा।
ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा।
ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा। |
ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा..
और नासाज़ रवैये की कूची बना..
खुशी की एक खूबसूरत सी तस्वीर उकेड़।
मुस्कुराते चेहरे.. चमकती आँखे....
फ़िर वही मासूमियत दिल मे लिए...
ज़िन्दगी के आखिरी ही सही...
उन्ही बचे पन्नों पर...
फ़िर से नई उम्मीद लिखते हैं।
उम्मीद...सिर्फ़ ख़ुद से.. और वक्त से।
ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा..
जमाने की परवाहियों में..बेपरवाही से..
ज़िन्दगी के पवित्र पन्ने सहेजते हैं
सयानेपन की दीवारें गिरा..
विश्वास की फ़िर से एक महल बनाते है..
विश्वास.. सिर्फ़ ख़ुद से..खुद के अस्तित्व से।
ज़िन्दगी मुस्कुरा जरा....
माना सब ख़त्म है...पर क्या कम है ?
कि धड़कन अब भी आवाद है।
ज़िन्दगी फ़िर से मुस्कुरा जरा।
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✍️Shikha Bhardwaj ❣️