Bevajah_बेवजह

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Bevajah_बेवजह




 फ़ितरतें ईश्क़ में तुम्हे चाहा था।

समझो जड़ा, कि यूँ ही वेवजह था ।

कल तुमसे था, आज किसी और से है।

ये तो होता है न! दिल ही तो है।


तुम क्यूँ यूँ वेवजह हरारत में हो ?

देखो न ! वही चाँद, सूरज और राते भी तो है।

पलके भी तुम्हारी झपकती ही तो है।

हाँ, अलग बात है....

धार को रोकने की कसमकस...

आँखे, थोड़ी गीली और लाल हुई पड़ी है।

और तो कुछ नही....सब बेवज़ह ही है।


क्या कहा तुमने आँखे नही मिला पा रहे...

देखो मुझे, सीखो मुझसे कुछ...

कितनी बेशर्मी से मैं आईने के सामने खड़ा हूँ।

खुद से ही कितनी साफगोई से.....

मक्कारी कर पा रहा हूँ।

तुम कहते हो......

साँसे भारी है, वेवजह ही है न!


यक़ीन है मुझे....

तुम मुझे मुझसे ज्यादा जानती हो।

बेवजह ही तो है...

कि मेरे बिना भी तुम...

हर घड़ी मुझसंग ही गुजारे हो।


सीखो मुझसे कुछ.....

मुझे तो बस चाँदनी पसंद है...

जिस रात ने चाँदनी ओढ़ी नही....

कहाँ फ़क़त कोई उसे ढूँढता है।

अब छोड़ो भी वेवजह.....

मैं खुश हूँ....तुम्हे किस बात का गम है।

मेरी ख़ुशी बेवजह ही सही अपनी खुशी बना लो।


फ़ितरतें ईश्क़ में तुम्हे चाहा था।

समझो जड़ा, कि यूँ ही वेवजह था ।

कल तुमसे था, आज किसी और से है।

ये तो होता है न! दिल ही तो है।


#Bevajah_बेवजह



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✍️Shikha Bhardwaj❣️


 

3 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. दिल ही तो है ❣️
    लाजवाब👌👌

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  2. आपकी शायरी के अल्फ़ाज़ बहुत सटीक है।लेखनी उत्कृष्ट रचना है आपकी धन्यवाद जी।। शुभ प्रभात बहन जी नमस्कार

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