Pyash,प्यास
Pyash,प्यास |
Pyash,प्यास
सुना था....
तेरे शहर में ईश्क़ का दरिया बहता है।
ज़माने से प्यासे थे हम भी...
वही प्यास बुझाने की कशिश....
मुझे भी तेरे शहर ले आई।
सोच न सकी...
दरियाओं में सैलाब भी आया करते है।
प्यास तो बुझी नही...
छोटा सा आशियाना जो था...
उसे भी नेस्तनाबूद कर गई।
चलो कोई नही...
मैं बर्बाद सही....
तुझे सुकून का नया आयाम तो मिला।
✍️Shikha Bhardwaj ❣️