ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
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ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया... |
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
देखो न हम हाले दर्द लिए बैठे हैं,
और जमाना वाह-वाह कर गया।
पढ़ता तो वो भी है मुझे...जाने क्या सोचता है
कहीं मेरी शायरी में उसका नाम तो न आ गया।
कहाँ उसे पता है...
वो मेरा पहला ईश्क़, वही आख़िरी हो गया...!
कहीं मेरी शायरी में उसका नाम तो न आ गया।
कहाँ उसे पता है...
वो मेरा पहला ईश्क़, वही आख़िरी हो गया...!
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
शायर ये सौभाग्य वो खुद ही खो गया।
अब मुझे पढ़कर क्या मिलेगा तुझे....
तू तेरी दुनिया मे खुश रह ....
मुझे मेरी ये शायरी का जहाँ ही मुक़म्मल रह गया।
अब मुझे पढ़कर क्या मिलेगा तुझे....
तू तेरी दुनिया मे खुश रह ....
मुझे मेरी ये शायरी का जहाँ ही मुक़म्मल रह गया।
बात चलेगी कभी चर्चे होंगे तेरे....
मगर तू फिक्र न कर..…
वो किस्से...जिंदगी की आख़िरी शायरी होंगे मेंरे।
मगर तू फिक्र न कर..…
वो किस्से...जिंदगी की आख़िरी शायरी होंगे मेंरे।
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
तू ये शायरी पढ़ना बन्द कर...
नही तो मेरा दाबा है....
तू फिर खुद को भूल बैठेगा.....
मेरी शायरी एक समन्दर है....
डर है तू उसमे डूब बैठेगा।
मैं तो शायर हूँ, यही मेरा दूसरा ईश्क़ है
तू किनारा फिर कहाँ ढूंढेगा।
नही तो मेरा दाबा है....
तू फिर खुद को भूल बैठेगा.....
मेरी शायरी एक समन्दर है....
डर है तू उसमे डूब बैठेगा।
मैं तो शायर हूँ, यही मेरा दूसरा ईश्क़ है
तू किनारा फिर कहाँ ढूंढेगा।
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
मेरे लिए तो वो वक्त कम लम्हे ज्यादा थे..
शायद यही वज़ह है..…
वो आज भी याद है मुझे
जो मुझे....मैं से शायर कर गया।
यूँ ही नही पल भर के साथ के लिए...
जिंदगी बेचकर मुक़म्मल बहाने खरीदे थे हमने.…
यूँ ही नही टूटे दिल के बदले..…
मुक़म्मल शायर का ख़िताब पा लिया हमने।
शायद यही वज़ह है..…
वो आज भी याद है मुझे
जो मुझे....मैं से शायर कर गया।
यूँ ही नही पल भर के साथ के लिए...
जिंदगी बेचकर मुक़म्मल बहाने खरीदे थे हमने.…
यूँ ही नही टूटे दिल के बदले..…
मुक़म्मल शायर का ख़िताब पा लिया हमने।
ईश्क़ अधूरा रहा हमारा...…
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
हाँ मगर शायर मुक़म्मल कर गया...
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#ग़ज़ल_शायरी_अपरिचिता
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#Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएग
✍️ Shikha Bhardwaj ❣️
अति उत्तम है पोस्ट आपकी
ReplyDeleteशायर आखिर तक जिंदा रहेगा आपकी जिंदगी में
शुभ प्रभात
🙏🙏
Deleteवाह वाह क्या बात है
ReplyDeleteसब इश्क की करामात है
उभरते दिल में नये जज़्बात हैं
खुशहाल जिंदगी की यही शुरुआत है।।
बहुत शानदार प्रस्तुति है आपकी धन्यवाद जी