वज़ूद भले अलग रहा हमारा.... |
वज़ूद भले अलग रहा हमारा.... रूह से कब जुदा थे तुम !!!! |
वज़ूद भले अलग रहा हमारा....
रूह से कब जुदा थे तुम !!!!
वज़ूद भले अलग रहा हमारा....
रूह से कब जुदा थे तुम !!!!
पर अब जब बाते होती है.....
यूँ लगता है....
हमी ने आशियाँ जलाया है हमारा...
अब धुंए की कौन कहे....
राख में बचा क्या ढूंढे हमारा...
वज़ूद भले अलग रहा हमारा....
रूह से कब जुदा थे तुम !!!!
वो जो तुम रूह में बसा करते थे...
गैर से अंदाज़ लगने लगा है तुम्हारा...
फ़िर अब शिक़वे की बाते करे किससे....
कौन है जो किस्सा सुनेगा हमारा।
गिरफ़्त में वादों की आ जाती हूँ...
यूँ ही तुम्हारे...
मालूम होता है...
भ्रम की खंडहर खड़ी है अब भी...
गलतियों की कहकहे लगाना....
बाकी है तुम्हारा।
वज़ूद भले अलग रहा हमारा....
रूह से कब जुदा थे तुम !!!!
फिर वही वक्त ढूंढती हूँ...
जिसमे साथ हो तुम्हारा, और सुकूँ हो हमारा।
उम्मीदों के ढ़ेर पर...
फिर वही गुनगुना कहकहा हो हमारा।
लफ्ज़ खनखनाएँ और
ख़ामोश शामें गीत गुनगुनाएं हमारा।
वज़ूद भले अलग रहा हमारा....
रूह से कब जुदा थे तुम !!!!
Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएगी।
✍️Shikha Bhardwaj❣️