लाज़मी है कि ख़्वाबों का स्वेटर बुना जाए
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लाज़मी है कि ख़्वाबों का स्वेटर बुना जाए
लाज़मी ये भी है..कि फिर मौसम बदल जाए |
लाज़मी है कि ख़्वाबों का स्वेटर बुना जाए
लाज़मी ये भी है..कि फिर मौसम बदल जाए
मन का वसंत तुम्हारा है..
बेशक़ इसके माली तुम्ही हो
तुम मन का वसंत हरा रखना।
लाज़मी है जिसे गले का हार समझ रहे हो,
वो फंदा निकले.....
गैरों से तो ठीक है,
तुम कभी अपने पर भी नज़र रखना।
लाज़मी है कि हो कोई तुम्हारी रूह का पसिन्दा
तुम भी शामिल हो धड़कनो में उसकी...
लाज़मी तो नही।
दरमियाँ दूरियाँ लाज़मी है
लाज़मी ये भी है......
कोई साथ हो तुम्हारे....
और हमदर्द तुम्हारा तुम्हारी तन्हाई हो।
लाज़मी है कभी टुकड़ो में बिखरे मिलो कभी
मन का दीप जलाए रखना
तुम्हे समेटने वाला तुम्ही हो
विश्वास ईश्वर पर रखना।
वो चाहे तो पत्थर पर फूल खिला दे
मिटाने से बनाने वाला बड़ा.....
ये सीख सदैव बनाए रखना।
लाज़मी है कि ख़्वाबों का स्वेटर बुना जाए
लाज़मी ये भी है..कि फिर मौसम बदल जाए।
Lazmi-hai-ki-khwabon- ka-sweter-buna-jaae
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✍️Aparichita ❣️
बहुत खूब सूरत है आपकी रचना धन्यवाद जी
ReplyDeleteवाह!! बहुत खूब 👌👌
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