Khwab,ख़्वाब

 

Khwab,ख़्वाब

Khwab,ख़्वाब






ख़्वाब है कि... 

उन्ही बीते लम्हों की दहलीज़ पर खड़ा है...

उम्र है कि....

वक़्त से रेस लगा रहा है।

तुम मिलोगे मुझे यूँ ही कहीं,

सुबह के ख्वाब की तरह.....

दिल है कि खुद को दिलासा दिए जा रहा है।

दिल है..., ज़िद्द पे अरा है...

मंज़िल पास.......

और धड़कनों में नशा जिंदगी का चढ़ा है।

क्या ग़लत है कि......

ख्वाबो का जहाँ...... 

और उम्मीदों के परिंदे पालते हैं हम।

ये उम्मीद ही तो आख़िर....

जीने का मुक़म्मल वज़ह बना है।

देखा है हमने कशमकश में जीने वाले को,

हाथ मे लाठी.....

और फेफड़ों में वक़्त की जद्द लिए घूमते हैं।

छोड़ो उन्हें......

तुम अपनी पंख लिए परवाज़ भरो

कि जबतक आँखो में ख़्वाब है...

दिलों में जज़्बे और जिंदा हो तुम।


#khwab_ख़्वाब


Aparichita-अपरिचिताकुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita-अपरिचिता इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita-अपरिचिता इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएगी।


✍️Shikha Bhardwaj ❣️


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