ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?-Aei-dil-mere-tu-kis-nashe-me-hai

ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?-Aei-dil-mere-tu-kis-nashe-me-hai


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?-Aei-dil-mere-tu-kis-nashe-me-hai




ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!


छोड़ दें नशेमन की बेतकल्लुफीयों को,
उठ खड़ा हो कि यूँ ही न बेज़ार कर खुद को
पहली दफा तो नहीं, मौसमों का रंग बदलना है। 
माना कि सुनामियों की दौर चली है,
पर भला है कोई तूफ़ान! जो कभी न टला है।


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!


 हटा भी दे फुरकतें गम की इन मलीन चादरों को,
बढ़ा ले दो - चार कदम, माना मंजिल दूर बड़ा है
 कर हौसलें बुलंद, जो तेरा दामन थामे खड़ा है।
सोच, कि है कोई शाम! जिसके बाद न सवेरा है ?
उठ आँखे खोल कि सामने नया भोर खड़ा है।


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!

 

कोई इश्क़ की नाकामियों के नशे में है,
तो कोई, वक्त की अदालतों में हाज़िर लगाए खड़ा है।
तू भी पलट ले इतिहाष के कुछ पन्नो को,
जिसने न राम को छोड़ा न कृष्ण को।
फिर तू तो बस अदना सा एक इंसान खड़ा है।


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!

तेरा कोई नया दौर तो नही, 
जो किस्मत वक्त के विपरीत खड़ा है।
माना इश्क़ था किसी से, संग छूट गया, 
बस कर, कब तलक शोक मनाना,
 ये तो नाकामियों का ही, दूजा नाम धरा है।


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!


मुक़म्मल मंजिल तो बस मुर्दो को मिला है।
तू जिंदा है अभी, उठ खड़ा हो,
जिंदगी के धूप-छांव से, दो -चार हाथ और कर,
माना अभी अकेला खड़ा है,
रख सम्भाल, जो कुछ भी तेरे भीतर बचा है।
रिस्तों ने इंसान नही, ओहदों को चुना है।


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!


समेट ले फिर से खुद को, तू तो इसका आदि बना है
कोई बात नई तो नही,क्यूँ आँसुओं में ढला है ?
तेरी चाहत है, जो फरेबों से बना है,
पहली दफ़ा तो नहीं, जो घाव दिए बैठा पड़ा है।
मुस्कुरा ,रख कीमत इन आँशुओं की, 
कि अभी जिंदगी धरी - पड़ी है। 


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!



और भी तो सुकूँ के रास्ते है जीवन मे
 जिसका  भविष्य तेरे आँचल प्रसून बन फूट पड़ा है। 
देख उसकी मुस्कुराहटो को और सवार ले  ख़ुद को। 
 जो किसी के  पीछे यूँ  ही बर्बाद किए बैठा पड़ा है। 
उठ, नई भोर की तरह, तू फिर सजा ले खुद को।
जब रास्ते सामने है, मंजिल भी खुद ही मिल जाएगी,
तू बस चल तो सही!


ऐ दिल मेरे ! तू किस नशे में है ?
किसका ईंतजार है तुझे,
कि तू खुद से फुरकत में है!


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Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएग


✍️Shikha Bhardwaj ❣️



1 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. ये दिल जाने किस नशे में है
    इक वक्त पर उसके प्यार का नशा था
    आज उसकी यादों के नशे में है


    खूबसूरत प्रस्तुति 👌

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