इश्के दौर से गुज़र रहे हो...!
तुम तो आसमां के परिंदे से उड़ रहे हो।
इश्के दौर से गुज़र रहे हो...! |
इश्के दौर से गुज़र रहे हो...!
तुम तो आसमां के परिंदे से उड़ रहे हो।
फ़िक्र न करो.....
बहुत जल्द, यही तेरे पाँव की जंजीर बनेगी ...
आसमां तो क्या...ये ज़मीं भी तुझे गैर सी लगेगी।
आँखों को नींद नही पर ख़्वाब भरपूर मिलेगी।
हर लम्हा महफ़िल महफ़िल सा लग रहा है...!
फ़िक्र न करो .....वो दौर भी आएगा,
जब हर महफ़िल तुझे तन्हा सी लगेगी।
ये तुम्हारी धड़कने जो सैर पर निकली है...
वक्त आएगा जो बताएगा तुम्हे...
कि साँसों का अटकना क्या होगा।
इश्के दौर से गुज़र रहे हो...!
तुम तो आसमां के परिंदे से उड़ रहे हो।
आज जो दिल को झंकृत किए जा रही है,
वही कदमो की आहट....
तुम्हें बेचैनियों के समंदर में भी गोते लगवाएगी।
खुशी किसे कहते हैं... ये बीते कल की बाते होंगी।
आज, आनेवाला कल और हर पल...
बेसबरियों की बारात....
और सिसकते आहो की आहटें होंगी।
इश्के दौर से गुज़र रहे हो...!
तुम तो आसमां के परिंदे से उड़ रहे हो।
फिर दौरे वक्त भी गजब ढाएगा....
साँस तो चलेगी.......
जिंदगी किसे कहते हैं, भूल जाओगे।
और तुम बस कैलेंडर के......
आखिरी महीने बन जाओगे,
और साल नया जगह बना लेगा।
तुम तो आसमां के परिंदे से उड़ रहे हो।
ये इश्के दौर है,
ReplyDeleteआज है
सिर्फ आज है
कल दर्दे दौर हो जायेगी
सुंदर प्रस्तुति