ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
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ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
खूबसूरत लम्हों से बंधी यादे,
अब भी इन्हीं से झाँकती है।
उन यादों की अनमोल महक,
अब भी इन दरों-दीवार से गुफ़्तगू करती हैं।
ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
मेरे आशियाने की पर्दों और गलीचों में,
जो उलझी पड़ी है, उन्ही वक़्त की यादें हैं।
उन यादों की महक, हवाओं में बिखरने दो
यादें, कुछ खट्टी, कुछ मीठी, पर अपनी सी।
ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
माना वक्त का अंदाज़ निराला है,
आज तुम्हारा कल किसी और का होगा,
आशियानें की जो ये छत बिखरने लगी है,
ये मेरे वजूद की पहचान है,
कि उम्मीदों के ख़म्भे मैंने अब भी लगाए रखे हैं।
ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
किसी को चाहना गुनाह नही,
माना बदले में बेचैनियाँ खरीद ली है हमने।
तुम खुश रहो हर हाल में,
ये कशमकश मेरी है, मेरी ही रहने दो...
ज़िन्दगी सो जो उधार ली है मैंने।
ये खिड़कियां जो खुली है,
खुली ही रहने दो।
Ye-khidkiyaan-jo-khuli-hain-khuli-hi-rahne-do
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Ye-khidkiyaan-jo-khuli-hain-khuli-hi-rahne-doIse bhi padhe:-- |
#Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। #Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। #aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। #aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएग
उम्मीदों के खंभे जो मैंने लगाए हुए हैं।
ReplyDeleteविश्वास की बुनियाद पर ।।
बहुत अच्छी कविता है आपकी।। धन्यवाद जी