मैं हूँ, न होने के लिए-Mai hoon, n hone ke lie.

 मैं हूँ, न होने के लिए।

Mai hoon, n hone ke lie.

मैं हूँ, न होने के लिए-Mai hoon, n hone ke lie.


मैं हूँ, एक दिन न होने के लिए।
मेरा जिश्म, मेरा वज़ूद है.....
बस ख़तम होने के लिए।

कुछ अल्फ़ाज़ रह जाएंगे..
मेरा जिक्र करने के लिए।

जबतक जिंदा हूँ....
किसी को कोई खबर नही,
मेरे हालात के लिए।

कल चली जाऊंगी..
अच्छी हो जाऊंगी,
दुश्मनों के लिए भी।

मेरी साँसे मुझे बताती है,
मै हर दिन, हो रही हूँ पुरानी,
फ़क़त ख़ाक में मिलने के लिए।

न जाने किस बात का गुरुर है ?

हम सनातनी है.....
हमें तो जमीं भी न लगेगी,
दफनाने के लिए।

यूँ ही अस्थियां... 
प्रवाह हो जाएंगी गंगा किनारे,
फिर न हम रहेंगे न हमारे निशाँ।

ये दौलत, ये गुरुर, 
रिस्तों की चिक चिक...
नामों सोहरत...
सब धरा रह जाएगा....
मैं हूँ, न होने के लिए।



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