चलो आज इस धुँध में ही कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं-chalo aaj is dhundh me hi kuch khwahishen dhundh lete hain.

 चलो आज इस धुँध में ही, कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं.....

चलो आज इस धुँध में ही, कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं.....


कुछ प्रीत के अलाव जलाते है, 
कुछ बिखरे रीत की माला पिरोते हैं।
कुछ बुझे से चेहरे हैं, उन चेहरों को... 
कुछ कम्बल, कुछ कपड़े और 
कुछ भोजन देकर.....
उनके चेहरे की चमक जगाते हैं।
फिर उसी चमक से...
अपने अन्तर्मन में कुछ दीप जलाते हैं।

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चलो आज इस धुँध में ही, कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं.....(you tube video)

चलो आज इस धुँध में ही....
कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं.....


ढूंढ लेते हैं, उन मुस्कान को....
जो ग़रीबी के गर्त में खो से गए हैं,
उस गर्त की पर्त को हटाते हैं,
थोड़े इंसानियत के अरमानों से..
थोड़े दिल की चाहत के कसक से।


चलो आज इस धुँध में ही....
कुछ ख़्वाहिश ढूंढ लेते हैं.....




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