खामोशी पर लिखी उम्दा शायरी संग्रह-khamoshi pr likhi umda shayri sangrah

खामोशी पर लिखी उम्दा शायरी संग्रह-khamoshi pr likhi umda shayri sangrah

खामोशी-khamoshi



1* ख़ामोशी

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जुबा खामोश, धड़कनों में हलचल सी है।
ये किसकी आहट है, कि गुमसुम फ़िज़ा में,
हवाओं ने शरगोशियाँ की है।
न जाने ये खुशी है या गम, आँखे नम सी है।

वो जो कोई अपना सा लगा था, 
अपना तो न था, पर दिल ने दगा दिया तो था।
आज उसकी यादों की हवा चली है..शायद!
इन फिजाओं में गुफ़्तगू सुरु हुई है।
शोर धड़कनों की, और आँखे फिर से नम हुई है।



2* khamoshi_खामोशी


 जुबाँ की सुनते नही तुम,

खामोशी तेरे पल्ले नही पड़ती।

सितम की इतनी भी इन्तेहाँ न कर....

की जुबाँ तो ख़ामोश हो गई है....

धड़कने न ख़ामोश हो जाए कहीं।


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3* khamoshi_खामोशी


खामोशी से सुनो मेरी धड़कन....

बस तुम्हारा नाम गुनगुनाती है,

गर ये ख़ामोश भी हो जाए...

खामोशी से मेरी आँखें तुम्हारे ही,

किस्से बयाँ करेंगी।

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khamoshi se suno meri dhadkan(Video)

4* khamoshi_खामोशी

सुनो न!

अब लफ्ज़ थकने लगे हैं,

धड़कनें बेदम हो रही है...

हमारे अल्फ़ाज़ खत्म और दरम्यां...

खामोशी जगह ले रही है।

जुबाँ नही, खामोशी सुन सकोगे?


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Khamoshi_खामोशी (video)


5* khamoshi_खामोशी

सुनो न!

न जाने क्यूँ.... हमारे अफ़साने....

गुजरे दिनों की बाते हो गई है,

वो कहकहे, वो कहानी...

बेमतलब की बातें...

फिर भी दरम्यां कुछ तो था,

जो हम थे...

अब ख़ामोशी ने जगह ले ली है,

और "हम" मैं और तुम हो गए हैं।


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Khamoshi_खामोशी(you tube Video)


5*

तन्हाई ही अब हमारी सहेली है, 

बड़ी ही ख़ामोशी से हम गुफ़्तगू करते हैं...

और महफिलों का शोर हमें भाता नही...

हम हमारे आशियाने में सन्नाटे सजा लिए हैं।




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1 Comments

If you have any doubt, please let me know.

  1. ये खामोशी, हर दर्द बयां करती हैं
    तुम बोलो या ना बोलो
    तेरी खामोशी हर बात बयां कर जाती है..
    माना के मैंने तेरे शब्द ना समझे
    पर तेरी खामोशी मुझे रूला जाती है...

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