अब तुम्हें ही क्यूँ न खो दूँ ?,कविता, अभिव्यक्ति,100 and above poem, kavita collection.

 अब तुम्हें ही क्यूँ न खो दूँ ?


 अब तुम्हें ही क्यूँ न खो दूँ ?


तुम्हे पाने की जद में बस खोया ही तो है,
अब तुम्हें ही क्यूँ न खो दूँ ?

क्यूँ झूठी कशिश के पीछे,
ये जिंदगी कसमकस में डालूं।
अब तुम्हे ही क्यूँ न खो दूँ।

वो बेसबरियाँ, वो धड़कनों पर पावंदी,
बेवज़ह ही इक तुम्हारी ख़ुशी की ख़ातिर,
गमों की बारात को निमंत्रण,
एक निमंत्रण, ब्रेकअप की,
क्यूँ न तुम्हारे पते पर ही भेजूं ?
अब तुम्हे ही क्यों न खो दूँ ?

बरसों तो बीत गए,
खुद को साबित करने की खातिर,
पर तुम मशहूर नई बहानों की ख़ातिर।
अब न खेल कोई साबित करने की,
न मसरूफियत तुम्हारी बहाने की।
ये मसरूफियत, ये बहाने ही खत्म कर दूं,
अब तुम्हे ही क्यूँ न खो दूँ?


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#Ab_tumhe_hi_kyun_n_kho_doon

#Aparichita


Aparichita हरदम हरवक्त आपके साथ है। Aparichita कुछ अपने, कुछ पराए, कुछ अंजाने अज़नबी के दिल तक पहुँचने का सफर। aparichita इसमें लिखे अल्फ़ाज़ अमर रहेंगे, मैं रहूं न रहूं, उम्मीद है, दिल के बिखड़े टुकड़ो को संभालने का सफर जरूर आसान करेगी। aparichita, इसमें कुछ अपने, कुछ अपनो के जज़बात की कहानी, उम्मीद है आपके भी दिल तक जाएगी।



✍️Shikha Bhardwaj❣️

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